फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. इसी अवसर पर अंतिम स्नान के साथ कुंभ का समापन होता है. दुनियाभर से श्रद्धालु पवित्र नगरी प्रयागराज पहुंच कर संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं.
कुंभ मेले का अंतिम स्नान महाशिवरात्रि के दिन होता है. भगवान शिव और माता पार्वती के इस पावन पर्व पर कुंभ में आए सभी भक्त संगम में डुबकी जरूर लगाते हैं. आस्था और विश्वास के महापर्व कुंभ की भव्यता, दिव्यता और यहाँ का अलौकिक दैविक वातावरण, सब कुछ मंत्रमुग्ध कर देने वाला है. महाशिवरात्रि आध्यात्मिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण है. इस दिन प्रकृति इंसान को अपने आध्यात्मिक चरम पर पहुंचने के लिए प्रेरित करती है. गृहस्थ जीवन में रहने वाले लोग महाशिवरात्रि को शिव की विवाह वर्षगांठ के रूप में मनाते हैं.
कुंभ मेला प्रशासन के मुताबिक, कुंभ के अंतिम स्नान पर करीब 60 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है. मेला डीआईजी केपी सिंह ने बताया कि महाशिवरात्रि पर मेला प्रशासन ने शिव मंदिरों में दर्शन की विशेष व्यवस्था की है क्योंकि इस दिन शिवलिंग का रुद्राभिषेक भी किया जाता है और इस बार खास संयोग बना है कि महाशिवरात्रि सोमवार को पड़ रही है. मंगलवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ औपचारिक तौर पर कुंभ मेले का समापन करेंगे.
योगियों और संन्यासियों के लिए यह वह दिन है, जब शिव कैलाश पर्वत के साथ एकाकार हो गए थे. यौगिक परंपरा में शिव को ईश्वर के रूप में नहीं पूजा जाता है, बल्कि उन्हें प्रथम गुरु, आदि गुरु माना जाता है, जो योग विज्ञान के जन्मदाता थे. कई सदियों तक ध्यान करने के बाद शिव एक दिन वह पूरी तरह स्थिर हो गए. उनके भीतर की सारी हलचल रुक गई और वह पूरी तरह स्थिर हो गए. यही दिन महाशिवरात्रि है. इसलिए संन्यासी महाशिवरात्रि को स्थिरता की रात के रूप में देखते हैं.
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