रामजन्मभूमि-बाबरी मस्ज़िद विवाद को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई. सुनवाई की शुरुआत में हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात के संकेत दिए थे कि अगर मामला मध्यस्थता के जरिए निपटता है सुप्रीम कोर्ट भी उसमें मदद करने के लिए तैयार है.
बुधवार को सुनवाई में क्या हुआ…?
- हिंदू महासभा की ओर से वकील हरिशंकर जैन ने समझौते का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट में पार्टियां मान जाती हैं, तो आम जनता इस समझौते को नहीं मानेगी. इस पर जस्टिस एसए बोबडे ने कहा है कि आप सोच रहे हैं कि किसी तरह का समझौता करना पड़ेगा कोई हारेगा, कोई जीतेगा. मध्यस्थता में हर बार ऐसा नहीं होता है.
- जस्टिस बोबडे ने कहा कि ये सिर्फ जमीन का मसला नहीं है बल्कि भावनाओं का मसला है, इसलिए हम चाहते हैं कि बातचीत से हल निकले. उन्होंने कहा कि कोई उस जगह बने या बिगड़े निर्माण को या इतिहास को पहले जैसा नहीं कर सकता है. इसलिए बातचीत से ही बात सुधर सकती है.
- जस्टिस बोबडे ने कहा कि बाबर ने जो किया हम उसे ठीक नहीं कर सकते हैं, अभी जो हालात हैं हम उसपर बात ही करेंगे. उन्होंने कहा कि अगर कोई केस मध्यस्थता को जाता है, तो उसके फैसले से कोर्ट का कोई लेना देना नहीं है.
- हिंदू महासभा ने कोर्ट में कहा कि इस केस को मध्यस्थता के लिए भेजा जाए इससे पहले नोटिस जरूरी है. यही कारण है कि हिंदू महासभा इसका विरोध कर रहा है. उन्होंने कहा कि क्योंकि ये हमारी जमीन है इसलिए हम मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं हैं.
- जस्टिस भूषण ने कहा है कि इस मामले में अगर पब्लिक नोटिस दिया गया तो मामला वर्षों तक चलेगा, ये मध्यस्थता कोर्ट की निगरानी में होगी.
- बाबरी मस्जिद पक्ष की ओर से राजीव धवन ने कहा कि कानूनी नजरिए से आर्बिट्रेशन और मीडिएशन में फर्क है, इसलिए आर्बिट्रेशन में कोर्ट की सहमति जरूरी है बल्कि मध्यस्थता में ऐसा नहीं है.
- जस्टिस बोबडे ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर मध्यस्थता पर कुछ तय होता है तो मामले को पूरी तरह से गोपनीय रखा जाएगा. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ये मामला किसी पार्टी का नहीं बल्कि दो समुदाय के बीच का विवाद का है, इसलिए मामले को सिर्फ जमीन से नहीं जोड़ा जा सकता है.
- मस्जिद पक्ष की ओर से राजीव धवन ने कहा कि इस मसले में भावनाएं भी मिली हुई हैं, मध्यस्थता में इस बात का तय होना भी जरूरी है कि कहां पर क्या बनेगा. सुनवाई के दौरान कई मुस्लिम पक्षों ने मध्यस्थता के लिए हामी भरी है.
मध्यस्थता पर क्या थी पक्षकारों की राय?
हालांकि, मध्यस्थता की सलाह पर सुप्रीम कोर्ट में पक्षकारों की कई तरह की आवाज़ें सुनाई दी थीं. हिंदू महासभा के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में मध्यस्थता का विरोध किया था और कहा था कि इस प्रकार की कोशिशें पहले भी हो चुकी हैं जो हर बार नाकाम रही है.
लेकिन बाबरी मस्जिद पक्ष ने मध्यस्थता पर चिंता तो जताई थी, लेकिन ये भी कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट इसकी निगरानी करती है तो वह तैयार हैं. निर्मोही अखाड़ा ने भी मध्यस्थता की बात स्वाकारी थी.
सुब्रमण्यम स्वामी भी रह सकते हैं मौजूद
आपको बता दें कि आज होने वाली सुनवाई में बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी भी मौजूद रह सकते हैं. स्वामी ने अयोध्या में पूजा करने की इजाजत मांगी थी, जिसपर कुछ दिन पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उन्हें सुनवाई के दौरान कोर्ट में उपस्थित रहने को कहा था.
गौरतलब है कि इलाहाबाद HC के 2010 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 14 अपील दायर की गई हैं. हाई कोर्ट ने अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन हिस्सों में सुन्नी वक्फ बोर्ड, राम लला और निर्मोही अखाड़े के बीच बांटने का आदेश दिया था.
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